इसी साल फरवरी महीने की बात है, कश्मीर घाटी के दक्षिणी जिले अनंतनाग में हम कश्मीरी पंडित बंटू शर्मा का घर ढूंढते हुए वानपोह गांव पहुंचे। फरवरी का महीना था तो पूरे कश्मीर में रुक-रुककर बर्फबारी हो रही थी। बंटू शर्मा के बड़े भाई राकेश शर्मा से फोन पर रास्ता पूछते हुए हम वानपोह गांव की गलियां पार करते हुए बंटू के घर तक पहुंच गए।
दो मंजिला घर था, लेकिन अब वीरान था, आंगन के बाहर ही दरवाजे पर ताला। कभी इस गांव में दर्जन भर कश्मीरी पंडित रहते थे, 1990 के दशक में मिलिटेंसी के बाद ज्यादातर कश्मीरी पंडित परिवार भाग गए थे, लेकिन बंटू शर्मा और उनका परिवार सितंबर 2021 तक टिका रहा। लेकिन फिर आया वो मनहूस दिन…
17 सितंबर 2021, शाम 6 बजकर 5 मिनट का वक्त। अनंतनाग के वानपो में रहने वाले पुलिसकर्मी और कश्मीरी पंडित बंटू शर्मा को घर से सिर्फ 200 मीटर दूर आतंकियों ने 5 गोलियां मारीं। उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन वे बच नहीं सके।
बंटू शर्मा की टारगेट किलिंग होने के बाद से उनके पूरे परिवार को खौफ की वजह से अपना पुश्तैनी घर छोड़कर जम्मू पलायन करना पड़ा। अब भी उनके बड़े भाई राकेश शर्मा दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
बंटू शर्मा के घर के ठीक सामने एक घर खुला दिखा, हमने उस घर में जोर-जोर से आवाज लगाई, कुछ देर बाद एक महिला आई और उसने बाड़ेबंदी का दरवाजा खोला। हम उस घर में बंटू शर्मा और उनके परिवार के बारे में पता करने गए थे कि उनके परिवार को ये गांव छोड़कर क्यों जाना पड़ा? गांव के मुसलमानों ने उस कश्मीरी पंडित परिवार को क्यों नहीं रोका? जब हम घर में दाखिल हुए तो एक नई कहानी पता चली।
ये घर था जिसका था, वे अपने घर में बैठकर 4-5 छोटे बच्चों को मैथ्स की ट्यूशन पढ़ा रहे थे। उन्होंने बताया कि उनके दो बेटे हैं- एक 14 साल और दूसरा 12 साल का । बड़ा बेटा 5 मई 2022 को घर से बताकर निकला था कि वो पिकनिक जा रहा है, फिर नहीं लौटा। शुक्रवार कुलगाम में हुए एनकाउंटर में 4 आतंकियों के साथ यही मारा गया है।
कौन है ये आतंकी
15 साल का छोटा सा लड़का जो बाद में आतंकी बन गया, ये अनंतनाग के वानपोह का रहने वाला था। उसके के बड़े पापा बताते हैं कि वह बड़ा जहीन लड़का था। पांचवी क्लास के बाद नवोदय में छठी में एंट्रेंस के लिए उसने जमकर तैयारी की थी, उसने नवोदय एंट्रेंस टेस्ट में टॉप भी किया था। उसके पिता बेटे का दाखिला दिल्ली पब्लिक स्कूल जैसे महंगे स्कूल में कराया था।
बड़े पापा को जब एनकाउंटर के बारे में पता चला तो वो राजधानी श्रीनगर के पुलिस मुख्यालय अपने भतीजे का चेहरा आखिरी बार देखने पहुंचे हैं। आतंकी के माता-पिता भी अपने बेटे का चेहरा एक आखिरी बार देखना चाहते हैं। कश्मीर में आतंकियों की बॉडी उनके परिवार को सौंपना काफी पहले बंद किया जा चुका है।
उसके बड़े पापा कहते हैं, ‘हमें कभी भनक ही नहीं लगी कि वह बुरी संगत में पड़ गया है। वो एकदम जहीन लड़का था, सिर्फ 14-15 साल का लड़का अचानक एक दिन यह बताकर घर छोड़ गया कि वो पिकनिक पर जा रहा है। उस दिन के बाद से आज तक उसका कोई अता-पता नहीं चला। न उसने कभी फोन किया और न ही पुलिस वालों को उसका कोई सुराग लगा। हमारे फोन ट्रैकिंग पर होते हैं, अगर वह हमें फोन करता तो वैसे भी पुलिस को पता लग जाता, लेकिन उसका फोन कभी नहीं आया।
फरवरी में ही हमने कुलगाम के SSP साहिल सारंगल से उसके बारे में पूछा था, तब उन्होंने कहा था, ‘वह लड़का आधिकारिक तौर पर मिलिटेंट है, पता चला है कि उसने लश्कर-ए-तैयबा तंजीम जॉइन की है।’
बंटू शर्मा के भाई राकेश शर्मा को जब हमने उसके एनकाउंटर में मारे जाने की बात बताई और फोटो भेजी तो उन्होंने उसको तुरंत पहचान लिया। बोले कि मैंने तो उसको बचपन से देखा है, वानपोह में मेरे घर के सामने ही रहता था। कभी नहीं लगा कि यह लड़का एक दिन आतंकी बन जाएगा।
मेरे भाई बंटू की जब टारगेट किलिंग हुई, तो हमने वो गांव छोड़ दिया और उसके बाद कभी लौटकर नहीं गए। गांव छोड़ने के कुछ दिन बाद ही खबर मिली थी कि वह मिलिटेंट बन गया है। इसके बाद तो और भी कभी जाने का मन नहीं किया।
वो मेरे पड़ोसी हैं, मेरा उनके घर रोज का उठना-बैठना था, हमने साथ-साथ तीज-त्योहार मनाए हैं, लेकिन अब सब कुछ पीछे छूट चुका है। कश्मीर में कौन-क्या है कुछ पता नहीं चलता, काफी कुछ अंदर-अंदर चलता रहा है। मेरा मन तो करता है कि वापस कश्मीर के अपने घर लौटूं, लेकिन ये भी पता है कि अब नहीं लौट पाऊंगा।जम्मू-कश्मीर में 24 घंटे के अंदर सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच दो एनकाउंटर हुए, जिसमें 6 आतंकी मारे गए। पहला एनकाउंटर कुलगाम में 16 नवंबर की शाम से शुरू हुआ। इसमें पांच आतंकी मारे गए। दूसरा एनकाउंटर राजौरी में हुआ, इसमें सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को ढेर कर दिया