उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल में 6 दिन से 40 मजदूर फंसे हैं। इन्हें निकालने के लिए शुक्रवार सुबह से दोबारा रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ है।
अमेरिका से आई ऑगर मशीन ने गुरुवार (16 नवंबर) को रात भर ड्रिलिंग किया। रात भर में 6-6 मीटर के चार पाइप मलबा हटाकर टनल में भेजे गए। जिन्हें ऑगर मशीन की मदद से ड्रिल किया जा चुका है।
एक्सपर्ट, ऑपरेटर और इंजीनियर्स समेत 40 लोगों की टीम मौके पर मौजूद है। टीम ने सुबह 10.30 बजे तक 30 मीटर तक ड्रिल कर लिया है। करीब 60-70 मीटर तक खुदाई करनी है।
12 अक्टूबर को सुबह 4 बजे टनल धंसने के बाद से करीब 40 मजदूर 5 दिन से अंदर फंसे हैं। इन्हें पाइप के जरिए ऑक्सीजन, खाना-पानी दिया जा रहा है।
20 मीटर बाद ड्रिलिंग की स्पीड कम हो गई
20 मीटर यानी टनल में तीन पाइप जाने के बाद मशीन की ड्रिलिंग की स्पीड कम करनी पड़ी। वजह है कि इसके बाद मलबा आने से टनल धंसी है और मलबा कमजोर है। मशीन जितना मलबा हटा रही थी, ऊपर से उतना ही मलबा आता जा रहा था, इसलिए यहां पर स्पीड से ड्रिलिंग नहीं की जा सकी। कोशिश है कि शुक्रवार को ड्रिलिंग का काम पूरा कर लिया जाए और फंसे हुए लोगों को रेस्क्यू किया जाए। मलबे के अंदर दो मशीनें भी दबी हैं। ड्रिलिंग के दौरान इंजीनियर ध्यान दे रहे हैं कि वे ऑगर मशीन के रास्ते में न आएं।\
फंसे हुए लोगों के परिजनों को मीडिया से दूर रखा
टनल के अंदर फंसे मजदूरों के परिजन भी घटनास्थल पर पहुंच चुके हैं लेकिन उनको मीडिया से मिलने नहीं दिया गया है। हिमाचल से आए धर्म कुमार ने बताया कि उनका बेटा विजय कुमार मशीन ऑपरेटर है जो 6 दिन से टनल के अंदर फंसा है। धर्म कुमार पिछले तीन दिनों से उम्मीद के सहारे टनल के पास रुके हैं। उनकी अधिकारियों से भी बातचीत हुई है और आश्वासन दिया गया है कि टनल के अंदर फंसे सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा।
मलबा कितनी दूर तक फैला है, किसी को नहीं पता
टनल में आया मलबा कितनी दूर तक फैला है, यह अभी किसी को पता नहीं है। इसका पता न तो टनल के दोनों छोर पर मौजूद लोगों को है और न ही अंदर फंसे लोगों को। फिलहाल केवल अनुमान लगाया जा रहा है कि 60 मीटर की टनल धंसी है तो मलबा इतने ही मीटर में फैला होगा। एक आशंका यह भी जताई जा रही है कि गीला मलबा टनल के अंदर 60 मीटर से ज्यादा इलाके में फैल गया हो। ड्रिलिंग एक्सपर्ट और इंजीनियर्स इसकी भी तैयारी करके चल रहे हैं। एक्सपर्ट ये भी पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि मशीनें मलबे में कहां तक पहुंची हैं। इसके लिए वो जियोग्राफी एनालिसिस करने की तैयारी कर रहे हैं। जानकार मान रहे हैं कि आज देर रात टनल में फंसे मजदूर बाहर आ सकते हैं।
बिस्किट, ड्राई फ्रूट्स और पानी की छोटी बोतल भेजी जा रही
रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने तक टनल में फंसे मजदूरों को पानी और खाने की सप्लाई की जा रही है। इस सप्लाई के लिए ढाई इंच व्यास का पाइप है। इससे फंसे हुए लोगों को पानी की 250 ml की बोतल, बिस्किट के छोटे पैकेट और ड्राई फ्रूट्स भेजे जा रहे हैं। टनल में फंसे कुछ लोगों के पास फोन थे जो अब डिस्चार्ज हो गए हैं। कुछ वॉकी-टॉकी सेट हैं, जिनकी मदद से उनसे बात की जा रही है। उन्हें हिम्मत बंधाई जा रही है कि जल्द ही उन्हें बचा लिया जाएगा। उत्तरकाशी डीएम अभिषेक रोहिल्ला ने टनल के आस-पास पुलिस को पीछे करके आइटीबीपी के जवानों को तैनात किया है।
पूरी रात स्पेशल 40 की टीम ने शिफ्ट में काम किया
इंजीनियर्स और मशीन ऑपरेटर बारी-बारी से शिफ्ट में काम कर रहे हैं। इनकी 40 लोगों की टीम है। ऑगर मशीन के आने के बाद NDRF और SDRF की 200 लोगों की टीम का काम कम हो गया और बड़ी मशीन से ड्रिलिंग होने लगी। इसके बाद मोर्चा संभालने के लिए 40 लोगों की टीम बनाई गई, जिसने गुरुवार रात को बारी-बारी से शिफ्ट में काम किया। इसमें 3-4 घंटे की शिफ्ट में बंटकर लगातार ड्रिलिंग की गई।
पीएमओ, गृह मंत्रालय और सीएम की मामले पर नजर
राहत और बचाव कार्य की निगरानी पीएमओ, गृह मंत्रालय और खुद उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी कर रहे हैं। पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद ही अमेरिका से हैवी ड्रिलिंग मशीन ऑगर मंगाई जा सकी। उत्तराखंड सरकार ने घटना की जांच के लिए छह सदस्यीय कमेटी बनाई है। कमेटी ने अपनी जांच शुरू भी कर दी है।