उत्तराखंड के उत्तरकाशी में दीपावली के दिन (12 नवंबर) सुबह 4 बजे एक निर्माणाधीन टनल का 60 मीटर का हिस्सा धंस गया। इसमें 41 मजदूर फंस गए। छह दिन तक अंदर फंसे लोगों की संख्या 40 बताई जा रही थी, लेकिन शनिवार सुबह एक मजदूर की संख्या बढ़ गई। संभव है कि अंदर और भी मजदूर फंसे हों।
NHAIDCL डायरेक्टर अंशु मनीष ने बताया कि अंदर मौजूद लोगों की संख्या 41 है। हादसे का आज सातवां दिन है और रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा नहीं हो सका है। टनल में फंसे मजदूरों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन, खाना-पानी और दवाई पहुंचाई जा रही है।
पिछले 6 दिनों में सबसे पहले एस्कवेटर के जरिए टनल से मलबा निकालने की कोशिश हुई। इसके बाद तीन अलग-अलग ऑगर्स मशीनों से ड्रिलिंग कर मलबे के अंदर स्टील पाइप भेजकर मजदूरों को निकालने का प्रयास हुआ, लेकिन अब तक सारे प्लान फेल रहे हैं।
एक्सपर्ट्स ने शुक्रवार को रेस्क्यू के लिए प्लान-B पर इमरजेंसी मीटिंग की। इसमें यह तय हुआ कि अब टनल को ऊपर से काटकर अंदर फंसे लोगों को एयरलिफ्ट करने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए ड्रिलिंग और एक्सपर्ट टीमों ने शुक्रवार रात को सर्वे भी किया है। इस पर आज रेलवे और नॉर्वे की एक्सपर्ट टीम काम करेगी।
PMO डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल और PMO एडवाइजर भास्कर खुलवे ने शनिवार सुबह घटनास्थल पहुंचकर NHAI, रेलवे और नॉर्वे के इंजीनियर्स और एक्सपर्ट के साथ मीटिंग की। नई ऑगर्स मशीन भी सुबह 11 बजे उत्तरकाशी पहुंच गई थी, लेकिन दोपहर तीन बजे तक रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू नहीं हो सका।
टनल कैसे काटी जाएगी?
नए प्लान के तहत ड्रिलिंग मशीन को टनल के ऊपर ले जाकर नीचे की तरफ छेद किया जाएगा। टनल के मुख्य द्वार से बाईं के रास्ते से होकर मशीन को टनल के ऊपर ले जाया जाएगा। यहां पर टनल का ‘C पॉइंट’ है यानी टनल में थोड़ा सा घुमाव है। इसी पॉइंट पर ड्रिलिंग के लिए सर्वे हुआ है। यह ड्रिलिंग टनल के मजबूत हिस्से में की जाएगी। इससे टनल को भी कुछ नुकसान पहुंचेगा। यहां पर मशीन को ऊपर से नीचे की तरफ करीब 103 मीटर की ड्रिलिंग करनी होगी।
यह ड्रिलिंग मलबा गिरने वाली जगह से 50-60 मीटर और आगे यानी टनल के मुख्य द्वार से कम से कम 280-300 मीटर अंदर की तरफ की जाएगी। यहां से अंदर फंसे लोगों को एयरलिफ्ट किया जाएगा।
अब तक क्या हुआ?
17 नवंबर: सुबह दो मजदूरों की तबीयत बिगड़ी। उन्हें दवा दी गई। दोपहर 12 बजे हैवी ऑगर्स मशीन के रास्ते में पत्थर आने से ड्रिलिंग रुकी। मशीन से टनल के अंदर 24 मीटर पाइप डाला गया। नई ऑगर्स मशीन रात में इंदौर से देहरादून पहुंची, जिसे उत्तरकाशी के लिए भेजा गया। रात में टनल को दूसरी जगह से ऊपर से काटकर फंसे लोगों को निकालने के लिए सर्वे किया गया।
16 नवंबर: 200 हॉर्स पावर वाली हैवी अमेरिकन ड्रिलिंग मशीन ऑगर्स का इंस्टॉलेशन पूरा हुआ। शाम 8 बजे से रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू हुआ। रात में टनल के अंदर 18 मीटर पाइप डाले गए। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेस्क्यू ऑपरेशन की रिव्यू मीटिंग की।
15 नवंबर: रेस्क्यू ऑपरेशन के कुछ देर ड्रिल करने के बाद ऑगर्स मशीन के कुछ पार्ट्स खराब हो गए। टनल के बाहर मजदूरों की पुलिस से झड़प हुई। वे रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी से नाराज थे। PMO के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली से एयरफोर्स का हरक्यूलिस विमान हैवी ऑगर्स मशीन लेकर चिल्यानीसौड़ हेलीपैड पहुंचा। ये पार्ट्स विमान में ही फंस गए, जिन्हें तीन घंटे बाद निकाला जा सका।
14 नवंबर: टनल में लगातार मिट्टी धंसने से नॉर्वे और थाईलैंड के एक्सपर्ट्स से सलाह ली गई। ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक को काम में लगाया। लेकिन लगातार मलबा आने से 900 एमएम यानी करीब 35 इंच मोटे पाइप डालकर मजदूरों को बाहर निकालने का प्लान बना। इसके लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक की मदद ली गई लेकिन ये मशीनें भी असफल हो गईं।
13 नवंबर: शाम तक टनल के अंदर से 25 मीटर तक मिट्टी के अंदर पाइप लाइन डाली जाने लगी। दोबारा मलबा आने से 20 मीटर बाद ही काम रोकना पड़ा। तब से मजदूरों को पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन और खाना-पानी मुहैया कराया जा रहा है।
12 नवंबर: सुबह 4 बजे टनल में मलबा गिरना शुरू हुआ तो 5.30 बजे तक मेन गेट से 200 मीटर अंदर तक भारी मात्रा में जमा हो गया। टनल से पानी निकालने के लिए बिछाए गए पाइप ऑक्सीजन, दवा, भोजन और पानी अंदर भेजा जाने लगा। बचाव कार्य में NDRF, ITBP और BRO को लगाया गया। 35 हॉर्स पावर की ऑगर्स मशीन से 15 मीटर तक मलबा हटा।
6 एजेंसियों के अलावा 3 देश के एक्सपर्ट्स रेस्क्यू में शामिल
नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL), NDRF, SDRF, ITBP, BRO, रेल विकास निगम की 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे रेस्क्यू में जुटी है। इसके अलावा थाईलैंड, नार्वे, फिनलैंड समेत कई देशों के एक्सपर्ट से ऑनलाइन सलाह ली जा रही है।