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शाह ने लोकसभा में नेहरू की चिट्ठी पढ़ी:बोले- नेहरू ने खुद शेख अब्दुल्ला से कहा था, कश्मीर मुद्दा UN ले जाना गलती थी

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संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन (6 दिसंबर) को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) बिल और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल पास हो गए। सदन में चर्चा के दौरान अमित शाह ने जवाहर लाल नेहरू को कोट किया। गृह मंत्री ने कहा- ‘नेहरू ने शेख अब्दुल्ला को लिखा था कि कश्मीर मुद्दा यूएन ले जाना गलती थी।’ शाह के बयान पर कांग्रेस समेत विपक्ष ने हंगामा किया। शाह ने कहा कि मैंने वही बात कही, जो खुद नेहरू ने अब्दुल्ला से कही थी।

शाह ने ये भी कहा कि कश्मीर में सेना जीत रही थी, तभी सीजफायर कर दिया गया। नेहरू की गलती से पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) बन गया। देश की जमीन का जाना नेहरू का ब्लंडर था।

लोकसभा में अमित शाह की स्पीच की 7 बातें

  • यह बिल उन लोगों को अधिकार दिलाने का बिल है, जिनकी अनदेखी की गई। अच्छी बात ये रही कि 6 घंटे की बहस में किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया। बिल पर प्रतिपक्ष के कुछ लोगों ने कम आंकने का प्रयास किया। किसी ने कहा कि सिर्फ नाम बदल रहा है। मैं कहना चाहता हूं कि नाम में ही सम्मान जुड़ा है। मदद से ज्यादा सम्मान व्यक्ति को आगे बढ़ाने का काम करता है।
  • जम्मू-कश्मीर में महाराजा हरि सिंह ने विलय का निर्णय लिया था, तब से अब तक कई बदलाव हुए। वहां आतंकवाद का लंबा दौर चला। किसी ने विस्थापित लोगों की केयर नहीं की। जिनको केयर करनी थी, वो इंग्लैंड में छुट्टी मना रहे थे। अगर उस समय उनके लिए काम किया गया होता तो वे विस्थापित नहीं हुए होते। ये बिल उनको प्रतिनिधित्व देने का है।
  • 1947, 1965 और 1971 में जम्मू-कश्मीर से 41 हजार 844 परिवार विस्थापित हुए। इस बिल से इन लोगों को अधिकार मिलेगा। डीलिमिटेशन की प्रक्रिया पवित्र नहीं है तो लोकतंत्र पवित्र नहीं हो सकता। डीलिमिटेशन को हमने न्यायिक डीलिमिटेशन नाम दिया है।
  • बिल में दो सीटें घाटी से विस्थापितों के लिए होंगी। 5 नॉमिनेटेड मेंबर होंगे। जम्मू-कश्मीर में अब 107 सीटों की जगह 114 सीटें होंगी।
  • परिसीमन आयोग ने पूरे जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। पिछड़े लोगों को रोकने का काम कांग्रेस ने किया है। पिछड़ा वर्ग आयोग को 70 साल से संवैधानिक दर्जा पहले क्यों नहीं मिला। नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे संवैधानिक दर्जा दिया।
  • विपक्ष पूछता है कि कश्मीर में क्या फर्क पड़ा। अब जम्मू-कश्मीर में दो एम्स हैं, मल्टीप्लेक्स खुले, 370 हटने के बाद 4 थिएटर बने। कश्मीर में फिल्मों की शूटिंग हो रही है। अब पथराव की घटनाएं नहीं होतीं। हमने टेरर फंडिंग रोकी।
  • जो कहते थे कि 370 हटा तो खून की नदियां बह जाएंगी, 370 हटने के बाद कंकड़ तक नहीं फेंका गया।
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