jammu-kashmir कश्मीर में बॉर्डर टूरिज्म हब केरन से आतंक की एंट्री
jammu-kashmir सेना की सख्ती से 100 से ज्यादा गेस्ट हाउस-रेस्टोरेंट खाली पड़े
jammu-kashmir कश्मीर के जो बॉर्डर इलाके 2023 में टूरिज्म के लिए खोले गए थे
jammu kashmir उन्हें बंद कर दिया गया है। अब इन क्षेत्रों में बिना पुलिस वेरिफिकेशन के किसी को जाने की अनुमति नहीं है। दरअसल, जुलाई में पाक बॉर्डर के केरन सेक्टर से आतंकियों ने दो बार घुसपैठ की कोशिश की।
jammu kashmir किशनगंगा नदी किनारे बसे छोटे से इलाके केरन में आतंकी पर्यटकों का फायदा उठाकर भारतीय सीमा में घुसना चाह रहे थे, लेकिन सेना ने उन्हें या तो ढेर कर दिया या फिर उल्टे पांव भगा दिया गया। इसके चलते फिलहाल केरन में बॉर्डर टूरिज्म बंद है।
jammu kashmir जम्मू-कश्मीर शासन के इस फैसले से पिछले साल बॉर्डर टूरिज्म पर लाखों रुपए खर्च करने वाले परेशान हैं। उन्हें पैसा डूबता दिख रहा है। जो लोग हर दिन 500 से 5000 रु. तक कमा रहे थे, वो खाली हाथ हैं।
इसकी हकीकत जानने के लिए केरन गांव का दौरा किया। यह इलाका उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में हैं और यहां बहने वाली किशनगंगा नदी भारत-पाक के बीच सीमा रेखा है। यहां इक्के-दुक्के मोबाइल टावर हैं, इसलिए नेटवर्क की समस्या हमेशा बनी रहती है।
jammu kashmir ई-परमिशन मिल सकेगी, लेकिन सात दिन लगेंगे
केरन में पर्यटन बंद होने के सवाल पर डिप्टी कमिश्नर ऑफिस ने इतना जरूर कहा कि आतंकी घुसपैठ के बाद वहां पर्यटन रोका है। यदि किसी को जाना है तो 15 अगस्त के बाद वह ऑनलाइन एप्लाई करे। उसे ई-परमिशन मिलेगी, वो भी 7 दिन बाद।
jammu kashmir 15 दिन से खाली पड़े हैं 150 से ज्यादा होम स्टे
यहां स्थानीय नागरिक राजा ने बताया कि बीते साल करीब 35 हजार पर्यटक केरन पहुंचे थे। 2024 में अब तक 43 हजार से ज्यादा लोग आ चुके हैं। हमें उम्मीद थी कि यह साल हमारे लिए सबसे बेहतर रहेगा, लेकिन आतंकी घुसपैठ की घटनाओं से उम्मीदें टूट गईं।
उन्होंने कहा कि यहां 100 से ज्यादा रेस्टोरेंट-होटल हैं। 150 से ज्यादा होम स्टे हैं। सब 15 दिन से खाली पड़े हैं। स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने सख्त पाबंदी लगा रखी है। मैंने और भाई ने मिलकर 15 लाख रु. निवेश किए हैं, लेकिन अब नहीं लगता कि उनकी भरपाई हो पाएगी। हम बैंक डिफॉल्टर हो जाएंगे।
jammu kashmir किशनगंगा किनारे लगे टेंट सूने, 100 रु. में एक रात रोकने को तैयार
केरन में किशनगंगा नदी किनारे बने होटल और रेस्टोरेंट के मालिक साजिद ने बताया कि यहां 100 गेस्टहाउस, होटल, रेस्टोरेंट 2023 में बने। इसके बाद इनकी संख्या तेजी से बढ़ी। अब तक टैंट या होटल में रुकने का एक रात का किराया 600 से 700 रुपए तक था, लेकिन अभी मजबूरी में किराए के मद में 100 रुपए भी लेने को तैयार हैं, फिर भी पर्यटक नहीं आ रहे। यहां लोगों ने होटलों के लिए एक करोड़ रु. तक का लोन लिया हुआ है। यदि जल्द हालात नहीं सुधरे तो हम कंगाल हो जाएंगे।
jammu kashmir हर महीने 60000 रुपए तक कमा रहे थे, अब कमाई जीरो
किशनगंगा किनारे करीब 30 टेंट लगा रहे जुहैब बताते हैं कि यह इलाका अपनी खूबसूरती के चलते हमारी कमाई का जरिया बना। हर महीने 50 से 60 हजार रु. तक कमाने लगे थे। लेकिन, अब 20 से 40 लाख के नुकसान में हैं। 2023 में पहली बार सरकार नीलम वैली में बसे केरन जैसे एक छोटे से गांव को टूरिस्ट मैप पर लाई थी।