mumbai भाजपा बोली- कांग्रेस शेयर बाजार खत्म करना चाहती है

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राजस्थान में एक्सप्रेस-वे पर चकनाचूर हुई कार

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mumbai भाजपा बोली- कांग्रेस शेयर बाजार खत्म करना चाहती है

mumbai हिंडनबर्ग में अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस का पैसा लगा

mumbai कांग्रेस इनकी टूलकिट का हिस्सा

भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट और कांग्रेस के आरोपों पर कहा कि देश की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है। इसलिए वह टूलकिट गिरोह के साथ मिलकर भारतीय शेयर बाजार को खत्म करना चाहती है।

रविशंकर ने सोमवार (12 अगस्त) को कांग्रेस पर ये आरोप लगाए। उन्होंने कहा- हिंडनबर्ग के मेन इन्वेस्टर अमेरिकी बिजनेसमैन भारत विरोधी जॉर्ज सोरोस हैं। राहुल गांधी उनके एजेंट हैं। पीएम मोदी से नफरत करते-करते देश से नफरत करने लगे हैं।

भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पिछले कुछ साल में देखा जा रहा है जब संसद सत्र जारी होता है, उसी समय ऐसे आरोप आते हैं। पीएम पर डॉक्यूमेंट्री, हिंडनबर्ग रिपोर्ट उदाहरण हैं। साफ है कि विपक्ष के तार विदेशों से जुड़े हैं।

दरअसल, हिंडनबर्ग रिपोर्ट में सेबी चेयरपर्सन पर लगे आरोपों के बाद राहुल गांधी ने पूछा था कि अगर निवेशकों को नुकसान होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। PM जेपीसी जांच से क्यों डरते हैं, यह अब पूरी तरह साफ हो गया है।

कौन हैं भारत विरोधी अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस
जॉर्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त, 1930 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था। जॉर्ज पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने का एजेंडा चलाने का आरोप हैं। सोरोस की संस्था ‘ओपन सोसाइटी फाउंडेशन’ ने 1999 में पहली बार भारत में एंट्री की।

2014 में इसने भारत में दवा, न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाने और विकलांग लोगों को मदद करने वाली संस्थाओं को फंड देना शुरू किया। 2016 में भारत सरकार ने देश में इस संस्था के जरिए होने वाली फंडिंग पर रोक लगा दी।

अगस्त 2023 में जॉर्ज का म्यूनिख सिक्योरिटी काउंसिल में दिया बयान बेहद चर्चा में रहा। जब उन्होंने कहा था कि भारत लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं। उनके उनके तेजी से बड़ा नेता बनने की अहम वजह मुस्लिमों के साथ की गई हिंसा है।

सोरोस ने CAA, 370 पर भी विवादित बयान दिए
सोरोस ने भारत में नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने पर भी PM मोदी पर निशाना साधा था। सोरोस ने दोनों मौकों पर कहा था कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की तरफ बढ़ रहा है। दोनों ही मौकों पर उनके बयान बेहद तल्ख थे और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते दिखाई दिए थे।

सेबी और अडाणी ग्रुप ने सफाई में कहा- आरोप बेबुनियाद
अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग के आरोपों को बाजार नियामक SEBI और अडाणी समूह ने बेबुनियाद बताया है। SEBI ने रविवार को कहा कि उसने SEBI समूह के खिलाफ सभी आरोपों की जांच की है। चेयरपर्सन माधबी बुच ने समय-समय पर सभी खुलासे किए हैं। उन्होंने हितों के संभावित टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग किया है।

SEBI के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 3 जनवरी 2024 तक अडाणी समूह के खिलाफ 24 में से 22 जांच पूरी की है। मार्च 24 तक एक और जांच पूरी कर ली गई। एक बाकी है। SEBI प्रमुख माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने भी हिंडनबर्ग के आरोपों को छवि धूमिल करने की कोशिश बताया।

रिपोर्ट पर आए SEBI चीफ के बयान पर हिंडनबर्ग ने कहा- हमारी रिपोर्ट पर माधबी बुच के रिएक्शन से कई नए सवाल खड़े हुए हैं। बुच का बयान विनोद अडाणी के कथित तौर पर निकाले गए धन के साथ-साथ एक अस्पष्ट फंड संरचना में उनके निवेश की पुष्टि करती है। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि यह फंड उनके पति के बचपन के दोस्त द्वारा चलाया जाता था, जो उस समय अडाणी ग्रुप के डायरेक्टर थे।

अडाणी समूह ने कहा- हिंडनबर्ग ने जिनके नाम लिए, उनसे कारोबारी रिश्ते नहीं
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर अडाणी समूह ने कहा है, SEBI प्रमुख से ग्रुप के कारोबारी रिश्ते नहीं हैं। SEBI प्रमुख के साथ जिन लोगों के नाम लिए गए हैं, उनसे भी समूह का

रिपोर्ट के बाद अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 59% गिरा था
24 जनवरी 2023 (भारतीय समय के अनुसार 25 जनवरी) को अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर का प्राइस 3442 रुपए था। 25 जनवरी को ये 1.54% गिरकर 3388 रुपए पर बंद हुआ था। 27 जनवरी को शेयर के भाव 18% गिरकर 2761 रुपए पर आ गए थे। 22 फरवरी तक ये 59% गिरकर 1404 रुपए तक पहुंच गए थे। हालांकि, बाद में शेयर में रिकवरी देखने को मिली।

शॉर्ट सेलिंग यानी, पहले शेयरों को बेचना और बाद में खरीदना
शॉर्ट सेलिंग का मतलब उन शेयरों को बेचने से है जो ट्रेड के समय ट्रेडर के पास होते ही नहीं हैं। इन शेयरों को बाद में खरीद कर पोजीशन को स्क्वायर ऑफ किया जाता है। शॉर्ट सेलिंग से पहले शेयरों को उधार लेने या उधार लेने की व्यवस्था जरूरी होती है।

आसान भाषा में कहे तो जिस तरह आप पहले शेयर खरीदते हैं और फिर उसे बेचते हैं, उसी तरह शॉर्ट सेलिंग में पहले शेयर बेचे जाते हैं और फिर उन्हें खरीदा जाता है। इस तरह बीच का जो भी अंतर आता है, वही आपका प्रॉफिट या लॉस होता है।

लेनदेन नहीं है। विदेशी होल्डिंग पर उठाए गए सवाल बेबुनियाद हैं। समूह की विदेशी होल्डिंग का स्ट्रक्चर पूरी तरह पारदर्शी है। इसका इस्तेमाल धन के हेरफेर के लिए नहीं किया गया।

ग्रुप ने कहा- हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का गलत इस्तेमाल किया। अडाणी ग्रुप पर लगाए आरोप पहले ही निराधार साबित हो चुके हैं। गहन जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया था।

10 अगस्त को हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट जारी कर सेबी चेयरपर्सन पर आरोप लगाए

  • एक फंड है ग्लोबल डायनमिक अपॉर्चुनिटी फंड (GDOF) जिसे गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ऑपरेट करते हैं और इस फंड की मदद से वो अडाणी ग्रुप के शेयरों के दाम बढ़ाते थे। GDOF अपना पैसा एक और फंड IPE प्लस फंड 1 में डालता था।
  • IPE प्लस फंड 1 भी अडाणी के स्टॉक्स में ट्रेड करता था। आरोप है कि सेबी चीफ माधबी और उनके पति धवल ने इन दोनों फंड में इन्वेस्टमेंट किया है। हिंडनबर्ग ने कहा सेबी ने इन फंड्स की जांच अच्छे से नहीं की क्योंकि इसमें माधबी का निवेश था।
  • IPE प्लस फंड’ मॉरीशस बेस्ड है, जिसे अडाणी डायरेक्टर ने इंडिया इंफोलाइन (IIFL) के जरिए स्थापित किया है। अब IIFL का नाम 360 वन हो गया है। IIFL वही कंपनी है जिस पर वायरकार्ड फ्रॉड के समय भी आरोप लगे थे। वायरकार्ड एक जर्मन कंपनी है।
  • बुच 16 मार्च 2022 तक एगोरा पार्टनर्स सिंगापुर की 100% शेयरधारक बनी रहीं और सेबी के मेंबर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान वह इसकी मालिक रहीं। सेबी चेयरपर्सन के रूप में नियुक्ति के 2 हफ्ते बाद उन्होंने अपने शेयर अपने पति के नाम ट्रांसफर किए।
  • अप्रैल 2019 में भारत में लॉन्च हुए सबसे पहले REIT ‘एम्बेसी’ को ब्लैकस्टोन ने स्पॉन्सर किया था। ब्लैकस्टोन को धवल बुच ने इस सेक्टर में बिना किसी एक्सपीरियंस के 3 महीने बाद सीनियर एडवाइजर के तौर पर जॉइन किया। तब माधबी बुच सेबी मेंबर थीं।
  • ब्लैकस्टोन के सलाहकार के रूप में धवल के कार्यकाल के दौरान, सेबी ने REIT के रेगुलेशन में बड़े बदलाव किए। ब्लैकस्टोन दुनिया की बड़ी रियल एस्टेट कंपनी है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या माधबी ने उस कंपनी को मदद पहुंचाई जिसमें उनके पति सलाहकार थे।

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