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DELHI-CPI(M) महासचिव सीताराम येचुरी का निधन

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DELHI-CPI(M) महासचिव सीताराम येचुरी का निधन

DELHI-निमोनिया की वजह से दिल्ली AIIMS में भर्ती थे

DELHI-परिवार ने अस्पताल को बॉडी डोनेट की

DELHI कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी का 72 साल की उम्र में निधन हो गया।

निमोनिया की शिकायत होने के बाद उन्हें 19 अगस्त को AIIMS दिल्ली में भर्ती कराया गया था। 25 दिन से उनका इलाज चल रहा था।

परिवार ने अस्पताल को CPI(M) नेता की बॉडी डोनेट की है। वे तीन बार पार्टी के महासचिव रहे थे।

वहीं, CPI(M) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि ‘कॉमरेड सीताराम येचुरी को सांस की नली में गंभीर संक्रमण हुआ था। डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही थी।’

AIIMS में रहते बुद्धदेव भट्टाचार्य को श्रद्धांजलि दी थी येचुरी ने AIIMS में भर्ती रहते हुए 22 अगस्त को पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। उन्होंने 6 मिनट 15 सेकेंड के वीडियो संदेश में कहा था, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुझे AIIMS से ही बुद्धो दा के प्रति भावनाएं प्रकट करना और लाल सलाम कहना पड़ रहा है।’

येचुरी ने 23 अगस्त को सोशल मीडिया एक्स पर जम्मू-कश्मीर में सीपीएम, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच चुनावी गठबंधन को लेकर पोस्ट किया था। 29 अगस्त को उन्होंने X पर अब्दुल गफूर नूरानी के निधन पर शोक संदेश पोस्ट किया था।

देशभर के नेताओं ने येचुरी को श्रद्धांजलि दी

  • कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सीताराम येचुरी मेरे अच्छे दोस्त थे। वे भारत के विचार के सच्चे रक्षक थे और देश को अच्छी तरह समझते थे। मैं उनके साथ की गई लंबी चर्चाओं को बहुत याद करूंगा। इस दुख की घड़ी में उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।
  • CM ममता बनर्जी ने कहा कि येचुरी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ। वे एक अनुभवी सांसद थे और उनका जाना राष्ट्रीय राजनीति के लिए बड़ी क्षति है।
  • आंध्र प्रदेश के CM चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि येचुरी जी के निधन पर गहरा दुख हुआ। वह भारतीय राजनीति के एक दिग्गज नेता थे। वह मुद्दों की बारीक समझ रखने वाले और जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ाव के लिए जाने जाते थे। उनकी आत्मा को शांति मिले।
  • 12वीं परीक्षा में देश भर में पहली रैंक हासिल की सीताराम येचुरी ने 10वीं कक्षा तक ऑल सेंट्स हाई स्कूल में पढ़ाई की। वे 1969 के तेलंगाना आंदोलन के दौरान दिल्ली पहुंचे। येचुरी ने दिल्ली में प्रेसिडेंट्स एस्टेट स्कूल में एडमिशन लिया और CBSE हायर सेकेंडरी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक-1 हासिल की। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में फर्स्ट रैंक से बीए (ऑनर्स) किया।

    फिर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) से इकोनॉमिक्स में एमए किया। उन्होंने पीएचडी के लिए जेएनयू में एडमिशन लिया था। हालांकि, 1975 में इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तारी के कारण पूरा नहीं कर सके।

  • तत्कालीन उपराष्ट्रपति एम हामिद अंसारी ने 2017 में सीताराम येचुरी को सर्वश्रेष्ठ सांसद (राज्यसभा) का पुरस्कार दिया था।

    2021 में 34 साल के बेटे की कोरोना से मौत हुई येचुरी की पत्नी सीमा चिश्ती पेशे से पत्रकार हैं। येचुरी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनकी पत्नी आर्थिक रूप से उनका भरण-पोषण करती हैं। उनकी पहली शादी वीना मजूमदार की बेटी इंद्राणी मजूमदार से हुई थी। इस शादी से उनकी एक बेटी और एक बेटा है। येचुरी के बेटे आशीष का 22 अप्रैल, 2021 को 34 साल की उम्र में COVID-19 के कारण निधन हो गया था।

    ज्योति बसु के साथ सीताराम येचुरी के दो संस्मरण

    1. बसु ने येचुरी से कहा- तुम खतरनाक आदमी हो सीताराम येचुरी ने ज्योति बसु के साथ अपनी पहली विदेश यात्रा के बारे में बताया था कि 1989 में पहली बार मैं उनके साथ नेपाल यात्रा पर गया था। उनके शेड्यूल में पशुपतिनाथ मंदिर की यात्रा भी थी। मैंने उनसे पूछा कि आपने इसके लिए मना क्यों नहीं किया।

    तब उन्होंने कहा कि भारत में हर विदेशी सरकारी अतिथि को राजघाट लेकर जाया जाता है। भले ही वो अतिथि गांधी से सहमत हाे या न हो। उसी तरह मैं भले ही नास्तिक क्यों न होऊं, मुझे पशुपतिनाथ मंदिर जाना जरूरी है।

    येचुरी बताते हैं कि मैं उनके साथ चीन यात्रा पर गया था। उन्होंने मुझसे मजाक में कहा- कामरेड तुम तो बहुत ही खतरनाक आदमी जान पड़ते हो। मैंने उनसे पूछा ऐसा क्यों कह रहे हो आप। बसु ने कहा- हममें से किसी को नहीं पता कि तुम किसे क्या पट्‌टी पढ़ा रहे हो। तुम सुरजीत से हिंदी में, वसवपुनैया से तेलुगु में, बालनंदन से तमिल में और मुझसे बंगाली भाषा में बात करते हो।

    2. येचुरी को ज्योति बसु बनाकर आर्ट गैलरी देखने भेज दिया था

    सीताराम येचुरी, ज्योति बसु के साथ क्यूबा दौरे पर गए थे।

    येचुरी ने बताया था कि मैं उनके साथ क्यूबा दौरे पर गए था। बसु वहां राजकीय अतिथि थे। जब विदा लेने के लिए हम एयरपोर्ट पहुंचे तो कुछ देर बाद ही क्यूबा के राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो भी वहां पहुंच गए।

    राष्ट्रपति के अचानक पहुंचने से वहां मौजूद हर कर्मचारी और अफसर हैरान और परेशान हो गया कि अचानक राष्ट्रपति क्यों आ गए। दरअसल, कास्त्रो ऐसे ही हर किसी को छोड़ने एयरपोर्ट नहीं आते थे। ज्योति बसु ने मेरी तरफ देखकर बांग्ला में पूछा- क्यूबा रेवोल्यूशन होये कोतो बोछोर हलो यानी क्यूबा की क्रांति हुए कितने साल हो गए।

    मैंने जवाब दिया 34 साल। बसु ने कहा एखानो गुरिल्ला टैक्टिक्स भूलेनी यानी फिदेल कास्त्रो अपने छापामार तरीके अभी तक नहीं भूले हैं।

    हमें हवाना से लौटते हुए माद्रे में कुछ समय रुकना था। मैंने निकलने से पहले वहां के भारतीय राजदूत से पूछ लिया था कि जब हम माद्रे रुकेंगे तो वहां देखने लायक क्या चीज है। राजदूत ने बताया कि आपको पिकासो की वर्ल्ड फेमस गुएर्निका पेंटिंग देखनी चाहिए। मैंने ये बात ज्योति बसु को बताई। जब हम मार्दे पहुंचे तो उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। वो आर्ट गैलरी जाने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन मैं देखना चाहता था।

    अब सवाल ये था कि जब राजकीय अतिथि नहीं जाएगा तो मुझे कौन ले जाएगा। मैंने कहा आप नहीं जाएंगे तो मैं कैसे देख पाऊंगा। उन्होंने कहा- तुम देखने जाओ। हमारे कारण ही तो उन्होंने आर्ट गैलरी का समय बढ़ाया है। तुम जाओ और पिकासो का आर्ट देखकर आओ। यहां के अफसरों को क्या पता कि कौन ज्योति बसु है। तुम चुपचाप जाओ और देखकर आ जाओ। तुमसे कौन पूछेगा कि तुम ज्योति बसु हो या नहीं।

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