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gujrat-सरदार पटेल की जयंती पर केवड़िया में मोदी

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gujrat-सरदार पटेल की जयंती पर केवड़िया में मोदी

gujrat-कहा- एक हैं तो सेफ हैं को गलत बताया जा रहा

gujrat-विपक्षियों को देश की एकता अखर रही

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरदार वल्लभभाई पटेल की 149वीं जयंती और एकता दिवस के मौके पर गुजरात के केवड़िया पहुंचे। उन्होंने कहा- कभी हम स्कूल-कॉलेज में एकता के गीत गाते थे कि हिंद देश के निवासी सभी जन एक हैं, रंग-रूप, भेष-भाषा चाहे अनेक हैं।

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PM ने कहा कि आज कोई अगर कोई कहता है कि एक हैं तो सेफ हैं तो कुछ लोग इसे गलत बताने लगते हैं। इन लोगों को देश की एकता अखर रही है। हमें ऐसी प्रवृत्ति से पहले से भी ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।

इसके अलावा PM ने आतंकवाद, अलगाववाद, नक्सलवाद, विदेश नीति समेत 8 मुद्दों को जिक्र किया। इससे पहले PM ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर पुष्पांजलि अर्पित की और एकता दिवस की शपथ दिलाई।

उन्होंने एकता परेड देखी, जिसमें 9 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश की पुलिस, 4 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, NCC और एक मार्चिंग बैंड की 16 मार्चिंग टुकड़ियां शामिल हुईं।

मोदी की स्पीच की बड़ी बातें…

1. कुछ लोग एक हैं तो सेफ हैं के नारे को गलत बता रहे

  • कुछ लोग अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। वे भारत को चोट पहुंचाने में जुटे हैं। वे चाहते हैं कि दुनिया में भारत की गलत छवि उभरे। ये लोग भारत की सेनाओं को टारगेट करने में लगे हैं। मिस इन्फॉर्मेशन कैंपेन चलाए जा रहे हैं। ये लोग जात-पात के नाम विभाजन करने में लगे हैं।
  • कभी हम स्कूल-कॉलेज में एकता के गीत गाते थे- हिंद देश के निवासी सभी जन एक हैं, रंग-रूप, भेष-भाषा चाहे अनेक हैं। आज कोई अगर कह दे कि एक हैं तो उसे फेक कहते हैं। अगर कोई कहता है कि एक हैं तो सेफ हैं तो इसे गलत बताते हैं। इन लोगों को देश की एकता अखर रही है। हमें ऐसी प्रवृत्ति से पहले से भी ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।

2. अर्बन नक्सलवाद को हमें पहचानना होगा

  • कुछ लोगों लोग भारत के जन-जन के बीच देश के तोड़ने के काम कर रहे हैं। अर्बन नक्सलियों के गठजोड़ को हमें पहचानना होगा। आदिवासियों को गुमराह करने वाला नक्सलवाद कमजोर पड़ा तो अर्बन नक्सलवाद बढ़ गया। हमें मुंह पर नकाब पहनने वाले लोगों को पहचानना होगा। आज हालत ये हो गई है कि एकता का बात करना गुनाह बताया जाने लगा है।

3. हम वन नेशन वन इलेक्शन पर काम कर रहे

  • बीते 10 साल में भारत ने विविधता में एकता में जीने के हर प्रयास में सफलता पाई है। आज वन नेशन, वन आइडेंटिटी यानी आधार की चर्चा दुनियाभर में हो रही है। हमने वन नेशन, वन टैक्स सिस्टम बनाया। हमने वन नेशन, वन ग्रिड की संकल्पना पूरी की।
  • हमने आयुष्मान भारत के रूप में वन नेशन, वन इंश्योरेंस की सुविधा देश को दी है। अब हम वन नेशन, वन इलेक्शन पर काम कर रहे हैं। यह भारत के लोकतंत्र को मजबूती देगा। इससे भारत विकास की नई गति औैर समृद्धि प्राप्त करेगा।

    4. भारत सेक्युलर सिविल कोड की तरफ बढ़ रहा

    • आज भारत सेक्युलर सिविल कोड की तरफ बढ़ रहा है। इसके मूल में सरदार साहब की बात ही हमारी प्रेरणा है। अलग-अलग वर्गों में जो शिकायत का भाव रहता है, वो दूर होगा। देश में एकता का संकल्प सिद्ध करेगा। आजादी के 7 दशक बाद एक देश, एक संविधान का सपना पूरा हुआ। 70 साल तक बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान पूरे देश में लागू नहीं हुआ था। कई लोगों ने संविधान का अपमान किया था।
    • जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 दीवार बनकर खड़ा था, ये विकास से वंचित रखता था। इसे हमेशा के लिए जमीन में गाड़ दिया गया है। जम्मू-कश्मीर में पहली बार मुख्यमंत्री में भारत के संविधान की शपथ ली है। ये भारत के संविधान निर्माताओं को संतोष देता होगा।

    5. जम्मू-कश्मीर ने अलगाव के एजेंडे को खारिज किया

    • जम्मू-कश्मीर की जनता ने अलगाव के एजेंडे को खारिज कर दिया है। आज आतंकियों को पता है कि भारत को नुकसान पहुंचाया तो भारत छोड़ेगा नहीं। नॉर्थईस्ट में विश्वास से समझौते किए और सालों का झगड़ा खत्म किया। नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा से लंबे समय से चल रही अशांति खत्म की है।

    6. भारत ने नक्सलवाद को उखाड़ फेंका

    • जब 21वीं सदी का इतिहास का लिखा जाएगा, उसमें लिखा जाएगा कि भारत ने दूसरे और तीसरे दशक में भारत ने कैसे नक्सलवाद को उखाड़कर फेंका। याद कीजिए, जब नेपाल के पशुपति से भारत के तिरुपति तक रेड कॉरिडोर बन चुका था।
    • आदिवासी भाई-बहनों ने अंग्रेजों से मुकाबला किया था, उनके बीच नक्सलवाद की आग भड़काई गई। ये भारत की एकता-अखंडता के लिए चुनौती बन गया था। आज नक्सलवाद भी भारत में अंतिम सांसें गिन रहा है। आदिवासी समाज को सालों से जिस विकास की प्रतीक्षा थी, वह उसके घर पहुंच रहा है।

    7. पहले की सरकार भेदभाव करती थी

    • पहले की सरकारों की नीयत और नीतियों में भेदभाव का भाव देश की एकता को कमजोर करता रहा है। बीते 10 साल में देश में सुशासन के नए मॉडल में भेदभाव के भाव की हर गुंजाइश खत्म की। हमने सबका साथ-सबका विकास का रास्ता चुना। आज हर घर जल योजना से बिना भेदभाव जल पहुंचाने का प्रयास हो रहा है।
    • आज पीएम किसान सम्मान निधि बिना भेदभाव मिलती है। आज आयुष्मान योजना का लाभ बिना भेदभाव मिलता है। इससे लोगों का सरकार में भरोसा बढ़ा है। यही एक भारत, श्रेष्ठ भारत को गति दे रही है। हमारी हर नीति और नीयत में एकता हमारी प्राणशक्ति है। इसे देखकर सरदार साहब की आत्मा हमें आशीर्वाद दे रही होगी।

      8. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण में यूनिटी

      • आज से सरदार पटेल की150वीं जयंती शुरू हो रही है। बीते दस साल तक भारत की एकता और अखंडता के लिए ये कालखंड उपलब्धियों से भरा रहा। इसका बड़ा कारण एकता नगर है, जहां ये स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है। इसके निर्माण में भी यूनिटी है। इसको बनाने के लिए देश के किसानों के पास से खेत में काम में आने वाले औजारों का लोहा लाया गया, क्योंकि सरदार साहब किसान पुत्र थे।
      • जब भारत को आजादी मिली थी, तब दुनिया में कुछ लोग थे जो भारत के बिखरने का आकलन कर रहे थे। उन्हें जरा भी उम्मीद नहीं थी कि सैकड़ों रियासतों को जोड़ कर एक भारत का निर्माण हो पाएगा, लेकिन सरदार साहब ने ये करके दिखाया। ये इसलिए संभव हुआ क्योंकि सरदार साहब व्यवहार में यथार्थवादी, संकल्प में सत्यवादी, कार्य में मानवतावादी और ध्येय में राष्ट्रवादी थे।

      9. दुनियाभर में मची उधल-पुथल के बीच विकास करना सामान्य नहीं

      • आज भारत के पास दृष्टि दिशा और दृढ़ता है। भारत सशक्त, समावेशी, संवेदनशील और सतर्क है। ऐसा भारत जो शक्ति और शांति दोनों का महत्व जानता है। दुनियाभर में मची उथल-पुथल के बीच विकास करना सामान्य बात नहीं है। जब अलग-अलग हिस्सों में युद्ध हो रहे हों, तब विकास करना सामान्य नहीं है।
      • जब दुनिया में रिश्तों का संकट है, तब भारत का विश्वबंधु बनकर उभरना सामान्य नहीं है। जब दुनिया के कई देशों में दूरी बढ़ रही है, तब कई देश भारत से निकटता बढ़ा रहे हैं। दुनिया देख रही है कि भारत कैसे अपने संकटों का दृढ़ता से समाधान कर रहा है। हमें इस महत्वपूर्ण समय पर अपनी एकता को सहेजना और संभालना है।

      दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी

      सरदार पटेल की यह प्रतिमा (182 मीटर) दुनिया में सबसे ऊंची है। 2010 में मोदी ने बतौर मुख्यमंत्री इसे स्थापित करने का ऐलान किया था। 31 अक्टूबर 2013 से प्रतिमा का निर्माण शुरू हुआ, जो पांच साल बाद यानी कि 31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल की 143वीं जयंती पर पूरा हुआ। प्रतिमा का उद्घाटन PM नरेंद्र मोदी ने किया था।

      109 टन लोहे का इस्तेमाल किया गया इस प्रतिमा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके लिए देश भर के पांच लाख से अधिक किसानों के पास से 135 मीट्रिक टन खेती-किसानी के पुराने औजार दान में लिए गए, जिन्हें गलाकर 109 टन लोहा तैयार किया गया। इसी लोहे का उपयोग इस प्रतिमा में किया गया है।

      6 हजार टन स्ट्रक्चरल स्टील से बनी है प्रतिमा इस प्रतिमा की लागत 2989 करोड़ रुपए आई। इसमें 2.10 लाख क्यूबिक मीटर सीमेंट-कंक्रीट और 2000 टन कांसे, 6 हजार 500 टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18 हजार 500 टन सरियों का इस्तेमाल किया गया है। यह 12 किमी इलाके में बनाए गए तालाब के बीचों-बीच बनी है।

      प्रतिमा 6.5 तीव्रता के भूकंप के झटके और 220 किमी की स्पीड के तूफान का भी सामना कर सकती है। प्रतिमा के निर्माण में 85% तांबे का उपयोग होने से हजारों साल तक इसमें जंग नहीं लग सकती। प्रतिमा की गैलरी में खड़े होकर एक बार में 40 लोग सरदार सरोवर डैम और विंध्य पर्वत के दर्शन कर सकते हैं।

    • https://youtu.be/sqkHRvlCO1k 
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