श्रीमद् भागवत कथा में हुआ भगवान शंकर व माता पार्वती का विवाह
श्याेपुर 18.12.2023
श्रीमद् भागवत कथा में हुआ भगवान शंकर व माता पार्वती का विवाह
– पालीरोड स्थित शिव मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह का दूसरा दिन।
ब्यूरोचीफ, नबी अहमद कुरैशी, श्योपुर मध्यप्रदेश
शहर के पालीरोड स्थित शिव मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह के दूसरे दिन सोमवार को कथा वाचक पंडित कृष्णमुरारी शास्त्री ने शंकर जी विवाह, ध्रुव चरित्र, भरत जी कथा, अजामिलय चरित्र का प्रसंग सुनाया।
कथा वाचक पंडित कृष्ण मुरारी शास्त्री ने शिव विवाह वर्णन करते हुए कहा कि, सती के आत्मदाह, पार्वती के रूप में पुर्नजन्म और शिवजी के साथ उनके विवाह की मनोहारी कथा का बखान किया। उनहोंने बताया कि, किस तरह से भगवान शंकर का विवाह गौरव पार्वती से होता है और तमाम जीव जंतु भगवान शंकर की बारात और भगवान शंकर जी का विवाह गौरा पार्वती से किया जाता है या झांकी के माध्यम से लोगों को दिखाया गया। उन्होंने बताया कि, माता पार्वती जी का विवाह भगवान शंकर से हुआ है। इन्हें पार्वती के अलावा उमा, गौरी और सती सहित अनेक नामों से जाना जाता है। माता पार्वती प्रकृति स्वरूपा कहलाती हैं। शिव पार्वती का विवाह हुआए बाद में इनके दो पुत्र कार्तिकेय तथा गणेश हुए। कई पुराणों के अनुसार इनकी एक पुत्री भी थी। कथा वाचक ने भक्त ध्रुव के चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि एक बार उत्तानपाद सिंहाशन पर बैठे हुए थे। ध्रुव भी खेलते हुए राजमहल में पहुंच गए। उस समय उनकी अवस्था पांच वर्ष की थी। उत्तम राजा उत्तनपाद की गोदी में बैठा हुआ था। ध्रुव जी भी राजा की गोदी में चढ़ने का प्रयास करने लगे। सुरुचि को अपने सौभाग्य का इतना अभिमान था कि उसने ध्रुव को डांटा। अजामिल का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि, एक अच्छे कर्मकांडी ब्राह्मण थे, परंतु कुसंगति के कारण बिगड़ गए और उसके बाद उन्होंने अपने पुत्र का नाम नारायण रखने के मात्र से उनकी मुक्ति हो गई। उन्होंने कहा कि अच्छे संत के या उसके नाम के स्मरण से ही आदमी की मुक्ति हो जाती है। इसलिए कभी भी कुसंगति के संपर्क में नहीं आना चाहिए। कथा में बड़ी संख्या में महिला- पुरुष कथा श्रवण करने पहुंचे थे।