...

चीनी अखबार ने भारत की विदेश नीति पर सवाल उठाए

0
सुप्रीम कोर्ट ने कहा-स्पेक्ट्रम का बिना नीलामी आवंटन नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा-स्पेक्ट्रम का बिना नीलामी आवंटन नहीं

मालदीव के संसदीय चुनाव में राष्ट्रपति मुइज्जू की जीत के बाद चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने भारत की विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं। ग्लोबल टाइम्स ने अपने आर्टिकल में कहा है कि भारत ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ (पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देना) पर चलता है। लेकिन पिछले कुछ समय से भारत का रवैया ‘नेबर फर्स्ट पॉलिसी’ की जगह ‘इंडिया फर्स्ट’ वाला हो गया है।

भारत साउथ एशिया में जितना अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश करता है, उससे पड़ोसी देश उतने ही दूर हो रहे हैं। इससे साबित होता है कि भारत साउथ एशिया को अपना बैक्यार्ड समझता है। वह साउथ एशियन देशों पर भारत और चीन में से किसी एक को चुनने के लिए दबाव डालता है।

शंघाई इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के प्रोफेसर ल्यू जोंग्यी ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि मालदीव के संसदीय चुनाव इस बात का सबूत हैं कि वहां के लोग अब भारत के आदेश का पालन नहीं करना चाहते हैं। उन्हें स्वतंत्र विदेश नीति का चुनाव किया है। वो आर्थिक और सामाजिक विकास को प्राथमिकता देते हैं।

‘भारत मालदीव के आंतरिक मामलों में दखल दे रहा था’
ग्लोबल टाइम्स ने अपने आर्टिकल में आगे लिखा, भारत के आक्रामक रवैये के कारण पड़ोसी देशों में भारत विरोधी भावनाएं पैदा हो रही हैं। भारत- चीन दुश्मन नहीं बल्कि पार्टनर हैं। मालदीव के लोगों ने भी मुइज्जू को इसलिए चुना है क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत मालदीव के आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है, जिससे उसकी स्वतंत्रता को खतरा है। मालदीव भारत और चीन दोनों से अच्छे रिश्ते रखना चाहता है।

मालदीव के चुनाव उनका आंतरिक मसला है और चीन इस बात का सम्मान करता है। लेकिन कुछ पश्चिमी मीडिया ने इन चुनावों को सुर्खियों में लाने का काम किया। उन्होंने कहा कि यह चुनाव असल में भारत और चीन के बीच मुकाबला है। इसके अलावा भारत में भी कुछ मीडिया आउटलेट ने अपनी रिपोर्ट्स में कहा कि मालदीव का झुकाव चीन की तरफ बढ़ रहा है।

मालदीव के संसदीय चुनाव में मुइज्जू की पार्टी जीती
दरअसल, मालदीव में 21 अप्रैल को हुए संसदीय चुनावों में राष्ट्र्पति मोहम्मद मुइज्जु की पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला था। 93 सीटों पर हुए चुनाव में मुइज्जू की पार्टी नेशनल पीपुल्स कांग्रेस और उनकी समर्थक पार्टियों को 71 सीटें मिलीं।

वहीं भारत समर्थक MDP को मात्र 12 सीटें हासिल हुई। चुनावों में जीत के बाद मंगलवार को मुइज्जू का बयान भी सामने आया। राष्ट्रपति​​​​​​ ने कहा कि नतीजों के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पता चलेगा कि मालदीव अपनी संप्रभुता और आजादी के मामले में कभी समझौता नहीं करेगा।

भारत-मालदीव के रिश्तों में तनाव की वजह…
15 नवंबर 2023 को मालदीव के नए राष्ट्रपति और चीन समर्थक कहे जाने वाले मोहम्मद मुइज्जू ने शपथ ली थी। इसके बाद से भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास आई है। नतीजा ये हुआ कि मालदीव ने वहां तैनात 88 भारतीय सैनिकों को निकालने का फैसला किया।

ये दो हेलिकॉप्टर और एक एयरक्राफ्ट का ऑपरेशन संभालते रहे थे। इनकी जगह अब आम नागरिक लेंगे। आमतौर पर मालदीव में इन हेलिकॉप्टर्स का इस्तेमाल रेस्क्यू या सरकारी कामों में किया जाता है। मालदीव से बिगड़ते रिश्तों के बीच जनवरी में प्रधानमंत्री मोदी लक्षद्वीप दौरे पर गए थे और उन्होंने लोगों से घूमने के लिए वहां आने की अपील की थी।

इस पर मालदीव के कुछ मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी और भारत के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। पलटवार करते हुए कई भारतीय टूरिज्म कंपनियों और लोगों ने मालदीव को ​​​​​​बॉयकॉट करना शुरू कर दिया। इससे मालदीव जाने वाले भारतीय टूरिस्टों की संख्या में तेजी से गिरावट आई।

इसी दौरान मालदीव के राष्ट्रपति चीन के दौरे पर गए और वापस लौटकर कहा कि कोई देश उन्हें धमका नहीं सकता। मुइज्जू ने मालदीव का समर्थन करने के लिए चीन के लोगों से उनके देश घूमने आने की अपील की। इसके बाद मालदीव ने भारत के साथ हुए हाइड्रोग्राफिक सर्वे एग्रीमेंट को भी खत्म कर दिया।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Seraphinite AcceleratorOptimized by Seraphinite Accelerator
Turns on site high speed to be attractive for people and search engines.