भागवत कथा सुनने से मानव का कल्याण संभव है

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श्याेपुर 31. 01.2024
भागवत कथा सुनने से मानव का कल्याण संभव है: पाराशर
– बड़ौदा कस्बे में मालियों की धर्मशाला में चल रही श्रीमद भागवत कथा का सातवां दिन।
ब्यूरोचीफ, नबी अहमद कुरैशी, श्योपुर मध्यप्रदेश
बड़ौदा कस्बे में बाग के सामने मालियों की धर्मशाला में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन बुधवार को कथा वाचक आचार्य पंडित राहुल पाराशर ने कहा कि, श्रीमद् कथा जीवन जीने की कला सिखाती है। भागवत कथा श्रवण से मानव का कल्याण संभव है।
कथा वाचक ने भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि, जीव परमात्मा का अंश है इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है वह मात्र संकल्प की होती है। उन्होंने महारासलीला, श्री ध्रुव चरित्र प्रसंग पर विस्तृत विवरण सुनाया। उन्होंने बताया कि, बिना भाव के भगवान कीमती चीजों को भी ग्रहण नहीं करते। यदि भाव से एक फूल ही चढ़ा दें तो प्रभु प्रसन्ना हो जाते हैं। जिस व्यक्ति में ईश्वर प्रेम का भाव पैदा हो जाए तो उसे ईश्वर की लगन लगी रहती है। कथा वाचक ने ध्रुव कथा प्रसंग में बताया कि सौतेली मां से अपमानित होकर बालक ध्रुव कठोर तपस्या के लिए जंगल को चल पड़े। बारिश, आंधी-तूफान के बावजूद तपस्या से न डिगने पर भगवान प्रगट हुए और उन्हें अटल पदवी प्रदान की। कथा वाचक ने कहा कि, भगवान और भक्त के बीच संबंधों की व्याख्या करते हुए कहा कि हमें इस तारने वाला सिर्फ भगवान है। जिस व्यक्ति का स्वभाव खराब होता है, उसके पास कोई नहीं बैठता लेकिन अच्छे स्वभाव वाले के पास हर कोई खिंचा चला आता है। ऐसी ही कुछ स्वभाव हमारे परमेश्वर का है।शहर के फक्कड़ चौराहे पर चली श्रीराम कथा का नावें दिन भंडारे के साथ समापन हो गया है। भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए साध्वी नंदनी दीदी (वृदावन धाम वाले) ने भगवान प्रेम भाव देने वाले का हमेशा कल्याण करते हैं। कहा कि भरत ने भगवान राम के वनवास जाने के बाद खड़ाऊं को सिर पर रखकर राजभोग की बजाय तपस्या की। कहा कि जीवन में भक्ति और उपासना का अलग महत्व है। निष्काम भाव से भक्ति करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। श्रीराम कथा में झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं।

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