विधि महाविद्यालय में छात्र-छात्राओं को किया कानूनी रूप से जागरूक

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श्याेपुर 03.02.2024
विधि महाविद्यालय में छात्र-छात्राओं को किया कानूनी रूप से जागरूक
ब्यूरोचीफ, नबी अहमद कुरैशी, श्योपुर मध्यप्रदेश
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार गुप्त के मार्गदर्शन में मनोज कुमार मंडलोई, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय, पवन कुमार बांदिल सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं शिखा शर्मा जिला विधिक सहायता अधिकारी द्वारा आज शासकीय विधि महाविद्यालय श्योपुर में कानूनी रूप से जागरूक करने हेतु विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
जागरूकता शिविर में सर्वप्रथम शिखा शर्मा, जिला विधिक सहायता अधिकारी द्वारा उपस्थित छात्राओं को जेण्डर इक्विलिटी व जेण्डर सेंसिटिविटी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी, साथ ही बताया कि प्राकृतिक रूप से जेण्डर 03 तरह के होते है। शासन की ओर से तीनों जेण्डरों के लिये कार्य किया जाता है ट्रांसजेण्डर लोगों को भी उन्हीं सारी सुविधाओं का लाभ मिलता है, जिनके हकदार सामान्य तौर पर महिला व पुरूष होते है किंतु समाज के द्वारा आज भी समाज में ट्रांसजेण्डर समुदाय को स्वीकार नहीं किया जाता है, जिससे वे हमारे बीच कार्य करने व शिक्षा प्राप्त करने में हिचकिचाते है व दूरियां बनाके रखते है ठीक इसी प्रकार बालिकाओं के माता-पिता भी उनकी सुरक्षा दहेज एवं जीवन की रक्षा के प्रति अंत्यन्त डरे हुये होते है इसलिये उन्हें कई बार समाज में पुरूषों के बराबरी करने का अधिकार नहीं मिल पाता है इसलिये प्रत्येक पुरूष को महिलाओं की सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए। पवन कुमार बांदिल, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विधिक सेवा अधिनियम के बारे में बताते हुये कहा कि इसके अंतर्गत एससी, एसटी, महिला, बच्चे, बंदीगण एवं जिनकी वार्षिक आय 02 लाख रूपये से कम है उन्हें निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया। इसी के साथ ही उपस्थित छात्र-छात्राओं को नालसा स्कीम- नशा पीड़ितों के लिए विधिक सेवाऐं एवं नशा उन्मूलन के लिए विधिक सहायता योजना के बारे में जानकारी देते हुये उन्हें नशा से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में बताया कि नशे के प्रयोग से घर परिवार तो बर्बाद होते ही है केंसर जैसी बहुत सी बिमारी हो जाती है। मनोज कुमार मण्डलोई, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय द्वारा उपस्थित समस्त छात्र-छात्राओं को कानूनी रूप से जानकारी देते हुये उन्हें अधिवक्ताओं के बारे बताया कि कुशल अधिवक्ता की यह जिम्मेदारी होती है कि वह न्यायालय के समक्ष सबुत के तौर पर सत्य प्रस्तुत करे, ताकि एक निर्दोष पक्षकार को न्याय मिल सकें पूर्व में कही जाने वाली बात ‘‘तारीख पे तारीख’’ अब पुरानी हो चुकी है। वर्तमान में न्यायालयों में मामलों की यथासंभंव शीघ्रता से सुनवाई की जाती है एवं मामलों का त्वरित निराकरण किया जाता है। इसी के साथ ही छात्र-छात्राओं द्वारा पूछे गए सवालो का संतोषप्रद जवाब दिया गया। प्रो. ओपी शर्मा व अन्य शिक्षकगण एवं 47 छा़त्र- छात्राएं उपस्थित रहे।

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