श्रीमद भागवत कथा में हुआ गोवर्धन पूजा का प्रसंग

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श्याेपुर 16.02.2024
श्रीमद भागवत कथा में हुआ गोवर्धन पूजा का प्रसंग
– मालियों के मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा कथा पांचवा दिन ।
ब्यूरोचीफ, नबी अहमद कुरैशी, श्योपुर मध्यप्रदेश
शहर के पुल दरवाजा के पास स्थित मालियों के मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवे दिन कथा वाचक आचार्य राहुल पाराशर (दांतरदा वाले) ने गोवर्धन पूजा की दिव्य कथा विस्तार पूर्वक सुनाई महारास लीला का भी वर्णन किया।
कथा वाचक राहल पाराशर ने कहा कि, जहां सत्य एवं भक्ति का समन्वय होता है, वहां भगवान का आगमन अवश्य होता है। गाय की सेवा एवं महत्व को समझाते हुए बताया कि प्रत्येक हिन्दू परिवार में गाय की सेवा अवश्य होनी चाहिए। क्योंकि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। जब भगवान श्रीकृष्ण नंद गांव पहुंचे तो देखा कि गांव में इंद्र पूजन की तैयारी में 56 भोग बनाए जा रहे हैं। श्रीकृष्ण ने नंद बाबा से पूछा कि कैसा उत्सव होने जा रहा है। जिसकी इतनी भव्य तैयारी हो रही है। नंद बाबा ने कहा कि यह उत्सव इंद्र भगवान के पूजन के लिए हो रहा है। क्योंकि वर्षा के राजा इंद्र है और उन्हीं की कृपा से बारिश हो सकती है। इसलिए उन्हें खुश करने के लिए इस पूजन का आयोजन हो रहा है। इस पर श्रीकृष्ण ने इंद्र के लिए हो रहे यज्ञ को बंद करा दिया और कहा कि जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल मिलता है। इससे इंद्र का कोई मतलब नहीं है। ऐसा होने के बाद इंद्र गुस्सा हो गए और भारी बारिश करना शुरु कर दिए। नंद गांव में इससे त्राहि-त्राहि मचने लगी तो भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को ही उठा लिया। नंद गांव के लोग सुरक्षति हो गए। इसके बाद से ही गोवर्धन पूजा का क्रम शुरु हुआ। गोवर्धन भगवान की पूजा सभी भक्तों को पंडित द्वारा विधि विधान से कराई गई। बांसुरी की धुन पर गोपियों को अपने पास बुला भगवान श्रीकृष्ण द्वारा प्रत्येक को अपनत्व का अहसास कराने वाली लीला महारास का इतिहास ब्रजभूमि की दिव्यता और पावनता पर अमिट छाप छोड़ती है। कामदेव का अहंकार चूर करने के लिए किया गया महारास कान्हा के जीवन का वो अभिन्न हिस्सा है, जिसके बिना राधाकृष्ण के प्रेम की कल्पना अधूरी ही रह जाएगी। अंत में आरती के पश्चात सभी को छप्पन भोग का दिव्य प्रसाद वितरित कराया गया। कथा श्रवण के लिए बड़ी संख्या में महिला-पुरूष पहुंचे।

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